रफाल जेट से भारत की कौन सी सैन्य कमी पूरी होगी?


रफाल जेट से भारत की कौन सी सैन्य कमी पूरी होगी ?

भारत फाइटर प्लेन्स के इंजन नहीं बनाता, अत: हम अपनी सेना चलाने के लिए विदेशियों के लड़ाकू विमानो पर बुरी तरह से निर्भर है। इस स्थिति में हमारे पास 2 विकल्प बचते है :


1. हम गेजेट में वे आवश्यक क़ानून प्रकाशित करें जिससे हम फाइटर प्लेन बनाने की क्षमता जुटा सके। 

2. हम विदेशियों से लड़ाकू विमान ख़रीदे।


मैं बिंदु 1 में दिए गए विकल्प पर काम करने के मानता हूँ, और विदेशी हथियारों को खतरे के रूप में देखता हूँ। वजह यह है कि विदेशी हथियारों के कारण भारत की सेना युद्ध लड़ने के लिए विदेशियों पर निर्भर हो जाती है।


(1) 1967 की बात है, तब अमेरिका ने भारत को आने वाली गेंहू की सप्लाई को बाधित कर दिया था। भारत का यह गेंहू Public Law-480 के तहत आता था, और अमेरिका इसे बिना किसी वाजिब कारण के रोक नहीं सकता था। अत: उन्होंने परिवहन प्रक्रिया के झमेले डालकर इसकी सप्लाई तोड़ दी जिससे भारत में गेंहू की कमी हो गयी।

        दरअसल, इस समय अमेरिका विएतनाम पर बम गिरा रहा था, और इंदिरा जी ने हनोई पर बमबारी करने की आलोचना की थी। और इंदिरा जी के इस बयान से अमेरिकी हथियार निर्माता नाराज हो गये थे !!.

        जब इंदिरा जी ने कहा कि, भारत वही कह रहा है जो पोप और यूएन महासचिव कह रहे है, तो अमेरिका ने जवाब दिया कि – लेकिन पोप और यूएन को हमारे गेंहू की जरूरत नहीं है !!

        Public Law-480 के तहत भारत को ये गेंहू लेने के लिए रूपये में भुगतान करना होता था, डॉलर में नहीं। आज की तरह तब भी भारत के पास डॉलर नहीं थे। अत: भारत को अपमान का घूँट पीना पड़ा।


ध्यान देने वाली बात यह है कि, यदि तब यह खबर मीडिया में नहीं आती तो भारत को पूरी दुनिया के सामने शर्मिंदा नहीं होना पड़ता। इस तरह पेड मीडिया किसी देश के प्रधानमंत्री को अपने देशवासियों और पूरी दुनिया के सामने शर्मिंदा होने से बचा लेता है !!

        पाकिस्तान को भी गेंहू अमेरिका ही देता था, और जब शिपयार्ड से गेंहू ऊँट गाड़ियों पर लादकर ले जाया जाता था, तो ऊँटो के गले में तख्तियां लटकायी जाती थी। इस तख्तियों पर बड़े अक्षरों में लिखा होता था – Thank you America !!


(2) भारत का चीन से युद्ध होता है तो हमें फाइटर प्लेन्स की जरूरत होगी। यदि डॉलर हो तो गेंहू ख़रीदे जा सकते है किन्तु फाइटर प्लेन्स नहीं। क्योंकि फाइटर प्लेन्स गेंहू नहीं है। रूस के अलावा सिर्फ अमेरिकी+ब्रिटिश+फ्रेंच को ही ये बनाने आते है। और ये तीनो देश (अमेरिका+ब्रिटिश+फ्रेंच) एक ही ब्लॉक है।


पेड मीडिया के प्रायोजको ने रफाल पर Thank you America & Thank you France की तख्ती न लटकाकर हमें सार्वजनिक शर्मिंदगी से बचा लिया है। और बदले में पेड मीडिया के प्रायोजक (अमेरिकी-ब्रिटिश-फ्रेंच धनिक) हमसे इसकी बड़ी कीमत वसूल रहे है।

रफाल के साथ 3 समस्याएं है

रफाल End Use Monitoring Agreement (EUMA) के साथ आया है : मतलब अमेरिकी-फ्रेंच हथियार निर्माता हमें किसी समय किसी देश पर इसके इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं देते है तो हम इसका इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। उदाहरण के लिए जब एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने F-16 का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया था तो अमेरिका ने सार्वजनिक रूप से पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि वे F-16 का इस्तेमाल भारत पर न करें। बस इसी तरह अमेरिकी-फ्रेंच किसी भी समय हमें रफाल का इस्तेमाल न करने के लिए कह सकते है। और फिर हम इनका इस्तेमाल नहीं कर पायेंगे। जब आपको हथियार चलाना हो तो निर्यातक से इसकी अनुमति लेनी होती है। संक्षेप में इसी को EUMA कहते है।रफाल में kill Switch (KS) है : यदि कोई आयातक देश EUMA का उलंघन करता है तो निर्माता देश KS का इस्तेमाल करके हथियार को बंद कर देते है। और फिर रफाल काम नहीं करेगा !!स्पेयर पार्ट्स पर निर्भरता : अगले चरण में वे रफाल के स्पेयर पार्ट्स भेजना बंद कर देंगे, और रफाल पार्किंग स्टेंड में खड़ा रहेगा और कभी उड़ान नहीं भर सकेगा !!


तो क्या होगा यदि भारत अमेरिकियों की बात नहीं मानता है, जैसे यदि पीएम सरकारी बैंको, रेल, सार्वजानिक उपक्रम आदि अमेरिकियों-फ्रेंच को बेचने से मना कर देता है, या अमेरिकियों को भारत में यूनिवर्सिटीज खोलने से रोक देता है, और अमेरिकी-ब्रिटिश-फ्रेंच हथियार निर्माता पाकिस्तान को 200 रफाल और 500 F-16 दे देते है, और साथ ही अमेरिकी-फ्रेंच हमें स्पेयर पार्ट्स भेजना बंद कर देते है ?

        जवाब आपको पता है। क्योंकि यदि अमेरिकी-ब्रिटिश-फ्रेंच हथियार निर्माता हमें फाइटर प्लेन्स / स्पेयर देने से इनकार कर देते है, या विलम्ब से देते है तो हम बुरी तरह फंस जायेंगे।


किसी देश की सेना को नियंत्रित करने का यह सबसे अच्छा तरीका है – उनकी सेना में अपने फाइटर प्लेन्स, रडार, हैलिकोप्टर आदि इंस्टाल करो। और फिर आप अमुक देश को अपनी उँगलियों पर नचा सकते हो !! दुसरे शब्दों में, रफाल आने के बाद हमारी निर्भरता अमेरिकी-फ्रेंच हथियार निर्माताओं पर और भी बढ़ गयी है !! और इसीलिए हम अपनी राष्ट्रिय संपत्तियां और भी तेजी से खोने वाले है।

तो रफाल एक उन्नत विमान है, लेकिन यह भारत के लिए कितना उपयोगी बना रहेगा, इसका फैसला अमेरिकी-फ्रेंच तय करेंगे, हम नहीं !!


(3) समाधान :

जैसा कि आप पिछले कुछ दिनों से अपने आस पास देख ही रहे है कि बीजेपी-कोंग्रेस-आपा के शीर्ष नेता एवं उनके समर्थक ऊपर दी गयी समस्या को समस्या की तरह नहीं देखते है। इसीलिए वे EUMA , Kill Switch और Spare Parts की समस्या पर जानबूझकर खामोश है। और वे इसे समस्या के रूप में इसीलिए नहीं देखते है, क्योंकि अभी तक पेड मीडिया ने उन्हें इसे समस्या के रूप में देखने के लिए नहीं कहा है !!

        और ठीक है, अभी हमारे पास प्लेन्स नहीं है, और चीन हम पर चढ़ा हुआ है, अत: हम चाहे या न चाहे हमें अमेरिका या रूस में से किसी देश से तो तत्काल में फाइटर प्लेन्स लेने ही पड़ेंगे। तो इस स्थिति में रफाल खरीदने को लेकर मेरा विरोध नहीं।

    लेकिन मेरा ऐतराज यह है कि, तब भी कोंग्रेस-बीजेपी-आम आदमी पार्टी के नेता एवं उनके समर्थक जानबुझकर उन आवश्यक कानूनों की चर्चा को क्यों टाल रहे है, जिन्हें लागू करके हम स्वदेशी हथियारों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल कर सके !! उलटे वे नागरिको में यह भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे है, कि रफाल के आने से भारत की सेना मजबूत हो गयी है।

        और यह भ्रम फैलाने के लिए वे – सिर्फ इस बिंदु को बार बार रेखांकित करते है कि रफाल आने के कारण चीन का मुकाबला करने की हमारी क्षमता बढ़ गयी है, किन्तु वे इस बात को जानबूझकर छिपा रहे है कि, इसी के साथ हम अमेरिकी-फ्रेंच हथियार निर्माताओ पर और भी निर्भर हो गए है।


बहरहाल, यदि आप इसे समस्या के रूप में देखते है तो मेरे विचार में इसका समाधान प्रस्तावित वोइक (WOIC) क़ानून द्वारा किया जा सकता है। यदि वोइक एवं जूरी कोर्ट क़ानून गेजेट में छाप दिया जाता है तो मेरा मानना है कि, भारत Made in India & Made by Indians की नीति पर चलते हुए अगले कुछ ही वर्षो में स्वदेशी तकनीक आधारित लड़ाकू विमान बनाने की क्षमता जुटा लेगा।


WOIC का प्रस्तावित ड्राफ्ट

https://drive.google.com/drive/folders/12x1Cqbai_cdtJFSEWRLzGyEWo2UysLt0



जूरी कोर्ट का प्रस्तावित ड्राफ्ट 

https://drive.google.com/drive/folders/1GYy9sHHk82jLXsk1Zym8V5sEx6UX9rSb

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