जब लाखों-करोड़ो लोग चिट्ठियां भेजेंगे तो प्रधानमंत्री कार्यालय इन्हें कैसे पढ़ेगा ?



जब लाखों-करोड़ो लोग चिट्ठियां भेजेंगे तो प्रधानमंत्री कार्यालय इन्हें कैसे पढ़ेगा ?

यदि भारत भर से 5 तारीख को 5 बजे देश के कुल मतदाताओं में से सिर्फ 1% मतदाता यानी 1 करोड़ नागरिक चिट्ठी (पोस्टकार्ड, इन्लेंड लेटर, बुक पोस्ट, लिफाफे आदि) भेजते है तो लगभग 10 तारीख को दिल्ली के मुख्य पोस्टऑफिस में जो 1 करोड़ चिट्ठियां इकट्ठा होगी उनका वजन लगभग 25 टन होगा।

और इन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय पहुँचाने के लिए लगभग 25 ट्रको की जरूरत होगी !! और यदि प्रधानमंत्री कार्यालय इन चिट्ठियों पर कार्यवाही नहीं करता है तो अगले महीने 4 गुना नागरिक चिट्ठियां भेजेंगे और तब इन्हें ढ़ोने के लिए 100 ट्रको की जरूरत होगी !!!

इस स्थिति में यदि प्रधानमंत्री कोई कदम नहीं उठाते तो 4 करोड़ लोगो के सड़को पर आ जाने से सभी जिलो के कलेक्टर, पुलिस, ट्रेफिक कर्मचारी, डाक कर्मचारीयों, लदान परिवहन आदि के लिए व्यवस्था बनाए रखना और काम करना मुश्किल हो जाएगा। और अगले महीने यह संख्या फिर से बढ़ेगी, या कम से कम उतनी संख्या तो बनी ही रहने वाली है, जितनी पिछले महीने थी !!

यदि पीएम इन सभी चिट्ठियों को प्रधानमंत्री कार्यालय में आने की अनुमति देंगे तो उनके पास अपने दफ्तर में इतने कर्मचारी ही नहीं है जो ये चिट्ठियां पढ़ सके !! इस स्थिति में वे देश के सभी कलेक्टर्स / डाक विभाग को निम्नलिखित आदेश दे सकते है :

(a) प्रत्येक डाक विभाग में लाल डिब्बे के साथ एक नीले / हरे कलर का अतिरिक्त डब्बा लगाया जाए जिस पर “Letter to Pm” या “पीएम के लिए ख़त इस डिब्बे में डालें” लिखा हो।

(b) वे प्रत्येक जिले के हेड पोस्ट ऑफिस में एक “Letters to Pm cell” या “प्रधानमन्त्री कार्यालय पत्र प्रकोष्ठ” का गठन करके एक अधिकारी नियुक्त कर सकते है।

(c) यह विभाग पीएम की चिट्ठियों को पढ़कर इनका रिकॉर्ड रखेगा और पीएम को यह रिपोर्ट (मेल, एक्सेल या स्पीड पोस्ट द्वारा) भेजेगा कि इस जिले से कुल 1 लाख चिट्ठी प्राप्त हुयी है।

इसमें अमुक गाँव / कस्बे से इतनी उतनी चिट्ठियां है। इन 2 लाख चिट्ठियों में से 1,90,000 चिट्ठियों में #EndLockdownTottaly या #JuryCourt की हेश है !!

अधिकारी स्थानीय स्तर पर यह भी डेटा रखेगा कि किस मतदाता संख्या एवं मतदाता द्वारा चिठ्ठी भेजी गयी है। (इसीलिए आपको अपनी मांग एक दो शब्दों यानी हेश के रूप में लिखनी है)

और इस तरह 10 तारीख तक पीएम के दफ्तर में देश भर के सभी जिलो से डेटा पहुंचे जायेगा। यह सब तब की बात है जब पीएम को चिट्ठी भेजने वालो की संख्या लाखों-करोड़ो तक पहुंचेगी। जहाँ तक कुछ हजार चिट्ठियों की बात है तो तथ्य यह है कि – पीएम के दफ्तर में भेजी जाने वाली सभी चिट्ठियां पढ़ी जाती है, और इनका रिकॉर्ड भी रखा जाता है ।

उदाहरण के लिए , 2019 की घटना है जब एक दम्पत्ति ने पी एम को चिट्ठी भेजी थी कि यदि अमुक दिवस तक राम मंदिर निर्माण न हुआ तो वे आत्म हत्या कर लेंगे । प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा उसे गिरफ़्तार करने के आदेश दिए गए और उसे गिरफ़्तार किया गया। यदि पीएम के दफ्तर में चिट्ठियां नहीं पढ़ी जाती तो उन्हें कभी मालूम न होता था कि दम्पत्ति ने आत्मदाह की धमकी दी है !!

ख़बर का लिंक - 


तो क्या हमेशा इसी तरह चलेगा कि, नागरिको को अपनी हर मांग पहुँचाने के लिए हमेशा चिट्ठियां भेजनी पड़ेगी ?

नहीं !! तब पीएम के पास सिर्फ एक रास्ता होगा – कि वे टीसीपी क़ानून गेजेट में छापने के आदेश जारी करें !! ताकि मतदाता अपनी मांग/ सुझाव / शिकायत पारदर्शी एवं अधिकृत तरीके से पीएम-सीएम के सम्मुख रख सके !!

प्रस्तावित टीसीपी क़ानून का लिंक - 

बहरहाल, यदि भारत में टीसीपी क़ानून होता तो न तो लॉकडाउन होता था और न ही वैक्सीन-चिप का सर्कस चल पाता था !! मतलब यदि एक बार भारत के नागरिक चिट्ठी भेजने के लिए सड़को पर आना शुरू कर देते है तो टीसीपी आ जाएगा, और टीसीपी आने के बाद नागरिको को कोई मांग करने के लिए कभी सड़को पर नहीं आना पड़ेगा !!

टीसीपी का पीडीऍफ़ यहाँ से डाउनलोड करें - 
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