हमें सरकार की आवश्यकता क्यों है ?

हमें सरकार की आवश्यकता क्यों है ?



थाने, अदालतें और सेना चलाने के लिए। ये 3 विभाग चलाने के लिए पैसा चाहिए। और इसीलिए चौथा विभाग है – कर विभाग। तो हमें सरकार चाहिए क्योंकि हमें ये 3 विभाग चलाने है।

1. थाने

2. अदालतें

3. सेना


यदि सरकार टेक्स इकट्ठा कर रही है, किन्तु ये 3 विभाग ठीक से काम नहीं कर रहे है, तो सरकार ठीक काम नहीं कर रही। क्योंकि सरकार के काम काज में मोटे तौर पर यही 3 चीजे शामिल होती है। इन 3 को चलाने के लिए पैसा चाहिए अत: चौथा विभाग कर प्रणाली है।


(1) आर्थिक सामाजिक-धार्मिक व्यवस्था को चलाने में सरकार की क्या भूमिका है ?

आप जितनी भी वस्तुएं देख रहे है, उन्हें निजी क्षेत्र के लोगो ने बनाया है। हवाई जहाज से लेकर सुई, मोबाईल, कम्प्यूटर, कार, कागज, जूते, कपड़ें तक। हम कल सरकार हटा देते है तो भी निजी क्षेत्र वस्तुओं का उत्पादन करते रहेंगे और लोगो का जीवन चलता रहेगा। सरकार ने न तो इनके आविष्कार किये और न ही इनका उत्पादन किया है। सरकार जो आवश्यक सेवाएं प्रदान करती है उसकी आपूर्ति भी निजी क्षेत्र करता है। उदाहरण के लिए यदि सरकार रेल / बस आदि चला रही है तो बसें और रेल के इंजन निजी कम्पनियों से खरीदती है। यदि सरकार अस्पताल चलाती है तो सोनोग्राफी और एक्स रे मशीने निजी कम्पनियों से लाती है। दरअसल, सरकार ऊपर दिए गए 3 विभागों को छोड़कर अन्य सभी क्षेत्रो का सिर्फ नियमन (Regulate) करती है, सुपरवाईज करती है।

आशय यह कि, सरकार ऐसा क़ानून छापती है कि यदि कोई व्यक्ति कार बनाता है तो उस पर इंजन नंबर डालना होगा ताकि इसे रजिस्टर्ड किया जा सके। यदि सरकार कार निर्माण को रेगुलेट नहीं करेगी तो कार दौड़ाने वाला किसी को टक्कर मार कर फरार हो जाएगा और हम उसे पकड़ नहीं सकेंगे। अब व्यवस्था को बनाए रखने के लिए यह जरुरी है कि इन्हें पकड़ने के लिए पुलिस एवं अदालतें हो। यदि निजी क्षेत्र को लोगो को पकड़ने और जेल में डालने की शक्ति दे दी गयी तो जिन लोगो का इन दो विभागों पर नियंत्रण होगा, वे शेष लोगो को गन्ने की तरह मशीन में दे देकर उनका सारा पैसा निचोड़ लेंगे। तो जब कोई व्यक्ति कानून तोड़ता है तो उसे पकड़ने के लिए हमें पुलिस एवं दंड देने के लिए अदालतें चाहिए। और इन दो विभागों को चलाने के लिए सरकार !!

किसी देश में जितनी भी फैक्ट्रियां, दुकाने, ट्रांसपोर्टेशन, निर्माण आदि चलते है उन्हें कोई न कोई क़ानून रेगुलेट कर रहा है। हर क़ानून के अंत में दंड लिखा हुआ है। और क़ानून तोड़ने वालो को पकड़ने के लिए पुलिस एवं दण्डित करने के लिए अदालतें है। देश के हजारों क्षेत्रो के व्यवस्थित रूप से काम करने का पूरा स्ट्रक्चर जिन कानूनों पर खड़ा है, वह पुलिस एवं अदालतों पर टिका हुआ है। दूसरे शब्दों में पूरे देश की आर्थिक-सामजिक-पारिवारिक-धार्मिक व्यवस्था इन 2 विभागों पर बुरी तरह से निर्भर है।

क्या होगा यदि हम सरकार का विघटन कर दें ?


सरकार के हट जाने से थाने एवं अदालतें बंद हो जायेगी, और सभी कानून उड़ जाएंगे। पूरी आर्थिक-सामाजिक-धार्मिक व्यवस्था ढह जायेगी और अपराध बढ़ जाएंगे। तब कुछ लोग बंदुके जुटाकर गैंग बनाएंगे और हथियार विहीन नागरिको से उनकी सम्पत्ति लूटना शुरू कर देंगे। वे आपकी जमीन, घर आदि पर कब्ज़ा कर लेंगे। तब आपको उनसे समझौता करके उन्हें हफ्ता देना शुरू करना पड़ेगा, ताकि वे आपको शान्ति से रहने दें। और जब लोग हफ्ता देते देते थक जायेंगे तो वे कहेंगे कि हमें पुलिस एवं अदालतें चाहिए। पहले पुलिस एवं अदालतें चलाने का यह काम राजा करता था। अब राजा नहीं है तो हमें सरकार चाहिए। तो घूम फिर कर हमें सरकार चाहिए, ताकि वह पुलिस एवं अदालतें चला सके !!


(2) यदि किसी देश की पुलिस एवं अदालतें ठीक से काम नहीं करे तो क्या होगा?

तब हफ्ता वसूली का जो काम निजी गैंग करने वाला था वह काम पुलिस एवं जज करना शुरू कर देंगे !! और नेताओ को भी इसमें हिस्सा मिलने लगेगा !! मलतब अब पुलिस एवं जज इस टोह में रहेंगे कि किस आदमी से कितना पैसा खींचा जा सकता है। और इस वजह से नागरिको की उत्पादकता गिरने लगेगी। तो हमें सरकार चाहिए, क्योंकि हमें प्राइवेट माफिया को हफ्ता चुकाने से बचना है, और हमें अच्छी सरकार चाहिए क्योंकि हमें ईमानदार एवं कार्यकुशल पुलिस-अदालतों की जरूरत है। दुसरे शब्दों में, यदि किसी देश की पुलिस अदालतों में भ्रष्टाचार है तो सरकार निकम्मी एवं भ्रष्ट है। यदि किसी देश की पुलिस-अदालतें ईमानदार और कार्यकुशल है तो इसका मतलब है कि सरकार अच्छा काम कर रही है।


(3) भारत की सरकारे किस तरह काम कर रही है?

निम्नलिखित प्रश्नों पर विचार कीजिये :-

1. क्या एक आम नागरिक पुलिस थाने में उसी तरह से मुक्त रूप से जा सकता है, जिस तरह से अन्य सरकारी कार्यालय जैसे बैंक, तहसील, कलक्टरी आदि में जाता है ? 

2. भारत के आम नागरिको के मन में पुलिस के प्रति एक अदृश्य भय क्यों है ? 

3. यदि आपके साथ कोई धोखाधड़ी या कोई मामला हो जाता है तो आप कोर्ट में जाना पसंद करते है या कैसे भी करके बातचीत से मामला निपटाने का प्रयास करते है ? 

4. यदि किसी आम नागरिक का किसी विधायक से झगड़ा हो जाता है तो वह अदालत जाने की सोचेगा या बाहर ही मामला रफा दफा करने की कोशिश करेगा? 

5. यदि कोई मंत्री या मंत्री का आदमी किसी की जमीन पर कब्ज़ा कर लेता है या मंत्री की नजर किसी परिवार की लड़की पर पड़ जाती है तो आप अमुक व्यक्ति को क्या सलाह देंगे? 

6. क्या एक आम नागरिक किसी जज या एसपी से न्याय की लड़ाई लड़ सकता है ? और खासकर तब जब उसका काफी कुछ दांव पर लगा हो? 

7. क्या आपको लगता है कि भारत में क़ानून सभी के लिए बराबर है, और इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसी की जेब में कितना पैसा है या उसकी पहुँच कितनी ऊंची है ?

इन सभी सवालों के व्यवहारिक जवाब आपको मालूम है, और उन्हें यहाँ लिखने की जरूरत नहीं है।


हम जानते है कि भारत की पुलिस एवं अदालतें पैसे और पहुँच वाले के हिसाब से चलती है, सही गलत के हिसाब से नहीं !! अत: आप थाने एवं अदालतों में घुसने से परहेज करेंगे। आप जहाँ तक होगा दब जायेंगे, घाटा खा जायेंगे, समझौता कर लेंगे या फिर खून का घूंट पी लेंगे !! लेकिन अदालत और पुलिस की चपेट में जाने से बचेंगे !!

एक बदतर सरकार बदतर पुलिस एवं बदतर अदालतों के माध्यम से आपको यह डर देती है || भारत के बहुत से नागरिक जो अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे देशो में जाते है और फिर लौटकर आना पंसद नहीं करते उसकी एक बड़ी वजह यह है कि उन्हें वहां यह अदृश्य भय नहीं रहता !! आप भारत छोड़ चुके ऐसे किसी भी व्यक्ति से बात करेंगे तो यह बात जान जायेंगे !! आपने जब से होश संभाला है, तब से आपने भारत में कई प्रकार के परिवर्तन देखें होंगे। और इनमें से कई बदलाव तो इतने बड़े है कि वे जादू की नजर आते है। लेकिन पिछले 70 सालों में एक चीज ऐसी है जिसमें रत्ती भर भी बदलाव नहीं आया है - पुलिस एवं अदालतो का भ्रष्टाचार !! जब जवाहर लाल पीएम थे तब भी पुलिस एवं अदालतें उतनी ही भ्रष्ट थी जितनी की आज है।


(4) आत्मनिर्भर सेना :-

कहने की जरूरत नहीं कि पुलिस एवं अदालतों से भी पहले नंबर सेना का आता है। यदि देश की सेना पर्याप्त रूप से आत्मनिर्भर नहीं होगी (कृपया शब्द "आत्मनिर्भर" को 2-3 बार पढ़े) तो जिस देश की सेना ज्यादा मजबूत होगी वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आपके देश को गुलाम बना लेगा। अत: हमें सरकार की सबसे ज्यादा जरूरत इसीलिए है ताकि सरकार देश को बाहरी आक्रमण से बचाने के लिए आत्मनिर्भर सेना खड़ी कर सके। यदि सेना आत्मनिर्भर एवं मजबूत नहीं हुयी तो गौरी, गजनी से लेकर फ्रांसिस, ब्रिटिश आदि आक्रमण करते रहेंगे और आप लुटते रहेंगे !!

आत्मनिर्भर सेना का अर्थ है - हथियारो के उत्पादन में आत्मनिर्भर होना। केवल वर्दी पहनाने से सेना नहीं होती है। वर्दी सिलवाने में सभी देश आत्मनिर्भर होते है। 400 रूपये में अच्छी खासी वर्दी सिल जाती है। और फिर वर्दी पहनाकर फ़ौज को परेड कराई जा सकती है। तो यदि कोई देश सेना रखता है और सेना के लिए हथियार भी खुद ही बनाता है, तो यह कहा जाता है कि अमुक देश की सेना आत्मनिर्भर है। किन्तु यदि किसी देश की सेना दुसरे देशो के बनाए गए हथियारों पर निर्भर करती है तो इसे आत्मनिर्भर सेना नहीं कहा जाता है। तो हमें सरकार चाहिए ताकि देश को सुरक्षित करने के लिए एक मजबूत एवं आत्मनिर्भर सेना खड़ी की जा सके। यदि हमारी सेना मजबूत एवं आत्मनिर्भर नहीं हुयी तो किसी भी दिन कोई बुश आएगा और हमें ईराक-अफगानिस्तान बना जाएगा!!


#Jury_Court का प्रस्तावित ड्राफ्ट गेजेट में प्रकाशित करके भारत की पुलिसअदालतों का भ्रष्टाचार दूर हो जाएगा और हम भारत में बड़े पैमाने पर आधनिक स्वदेशी हथियारों का उत्पादन कर सकेगे।

#JuryCourt का प्रस्तावित ड्राफ्ट कानून का लिंक –

https://drive.google.com/drive/u/0/mobile/folders/1GYy9sHHk82jLXsk1Zym8V5sEx6UX9rSb?usp=sharing


सरकार से प्रस्तावित ड्राफ्ट #ज्यूरी_कोर्ट की मांग कीजिए । PM को पोस्टकार्ड चिठ्ठी भेजकर प्रस्तावित ड्राफ्ट कानून की मांग कीजिए ।


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